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Saturday, October 8, 2022

Khwaja ji ka khas amal

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ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती जी का ख़ास अमल

अस्सलामो अलैकुम दोस्तो। 

ये हमारा पहला आर्टिकल है।  उम्मीद है आपको पसंद आएगी।  दोस्तों इस ब्लॉग पर हम आपको इस्लामिक जानकारिया मिलती रहेगी।  और आपको खुद को जानने में आपकी मदद भी करेगी। अगर आप को पसंद आये तो आप हमारे चेंनल और ब्लॉग को सब्सक्राइब कर लें।  ताके आपको जल्द से जल्द अपडेट मिल सके।  तो बिना वक़्त जाया किये चलिए अपने टॉपिक पे आते है। 


अमल क्या है?

दोस्तों। अमल जो ये लफ्ज़ है ये है तो बहुत छोटा मगर इसपर चलना है बहुत मुश्किल, कोई कामिल ही होता है जो इसपर चल जाता है और उसे उसका मक़सदे मक़सूद  भी मिल जाता है। देखो दोस्त एक बात तो पक्की है।  अगर बनाने वाले ने हमें इंसान बनाया है तो इसके पीछे कोई तो वजह होगी ही क्यूंकि रब कोई चीज भी बेवजह पैदा नहीं करते।  उनकी हर एक तख़लीक़ के पीछे एक वजह होती है।  


तो जब हम इंसान है तो हमारे पैदा होने की भी एक वजह होगी और उसे अल्लाह ने हमें खुद से ही तलाश करने के लिए हमारे ऊपर ही छोड़ दिया है के जाओ और अपने मक़सद को तलश करो हम ने तुम्हे क्यों पैदा किया है | इसलिए अल्लाह ने इंसान को अक़्ले सलीम दिया है सोचने की सलाहियत जो किसी भी मख्लूक़ में नहीं है, वो सही गलत में फ़र्क़ कर सकता है। अपने आने वाले दिन की तैयारी अभी से ही शुरू कर सकता है। सबसे से बड़ी नेमत सोच सकता है, इसलिए हमें अशरफुल मख़लूक़ात कहा जाता है। अल्लाह ने जब इंसान बनाया तो उसके साथ कुछ शर्तें कुछ नियम भी साथ बनाये जो इंसानो के लिए था और उसमे अमल भी शामिल है।  लेकिन हम सब भूल चुके है, 


अल्लाह के नज़दीक सबसे बेहतर अमल पता है क्या है।  मोहब्बत, खिदमते ख़ल्क़, जरुरत मंद के काम आ जाना। लेकिन आज हम हक़ मार लेते है, जुल्म करते और अफ़सोस भी नहीं होत। अमल मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं।  आप जिस पर चाहे जो आपका दिल करता है जो आपको रब से जोड़ता है आप उसका अमल कर सकते है।   

 
ख्वाजा जी का एक ख़ास अमल 

ख्वाजा जी के भी ऐसे ही एक ख़ास अमल किया करते थे, और जैसा के आपको पता है अमल आसान नहीं होते।  इसमें अपने नफ़्स से लड़ना होता है। अपने किरदार को गुनाहों से बचाना होता है  दिल में  खुदा की तख़लीक़ और उसके मख़लूक़ से मोहब्बत करना होता है।  अमल के भी एक नियम है (कायम रहना) भटकना नहीं है। तो ख्वाजा जी के लब मुबारक पर हर वक़्त सूरे इखलास का विरद रहता | और हर रोज़ रात को सोने से पहले 1000 मर्तबा सूरह इखलास पढ़ने का मामूल रहता।  जिनकी बरक़त से अल्लाह पाक ने उन्हें बहुत सी फ़ज़ीलतों से नवाज़ा  और आज ख्वाजा जी को पूरी दुनिया जानती है | उनके हाथो ऐसे ऐसे करिश्मे और करामात हुए के लोग देख कर दंग रह गए | और मुश-रिकीन  ईमान ले आयें | 


सुरह इखलास कुरान के एक तिहाई हिस्सों को कवर करती है, यानि सुरह इखलास एक बार पढने से कुरान के एक तिहाई हिस्सों को पढने के बराबर सवाब मिलता है | और तौहीद का मज़बूत अंदाज़ में सबूत पेश करती है | सूरह इखलास के शाने नुज़ूल के बारे में मुसनद अहमद के हदीस में आता है के मुश-रिकीन ने सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से कहा के अपने रब के गुणों को बताओ इस पर सुरह इखलास नाजिल हुई | 


बिस्मिल्ला–हिर्रहमा–निर्रहीम

कुल हुवल लाहू अहद

अल्लाहुस समद

लम यलिद वलम यूलद

वलम यकूल लहू कुफुवन अहद

तर्जुमाआप कह दीजिये कि अल्लाह एक है | अल्लाह बेनियाज़ है | वो न किसी का बाप है न किसी का बेटा और न कोई उस के बराबर है |


सुरह इखलास पढने की बहुत सी फ़ज़ीलतें  है | जिन में से चंद फ़ज़ीलत मैं यहाँ पर तहरीर कर रहा हूँ | 

1. इस सुरह के पढने से आपके अक्ल में इजाफा होता है | 

2. आप जो काम कर रहे है (पढाई या कोई मकसद) उसमे कामयाबी मिलेगी |

3. एक और ख़ास बात है इस सुरह में के अगर आप इसे मुसलसल पढ़ते रहेगे तो आपको किसी भी तरह की कोई बीमारी या परेशानी नहीं आयेगी आप हर तरह के मुसीबत से महफूज़ रहेगे |

उम्मीद करता हूँ के आप आज से ही सूरह इखलास को पढने का मामूल अपने ज़िन्दगी में कायम करेगे | और इस के हैरत अंगेज़ नातैज़ को देख कर खुश हो जायेंगे |


मेरे प्यारे दोस्तों | कहते है (जब तक अलफ़ाज़ अमल में ना उतरेंगे  तब तक न दिल बदलेगा न दिल की दुनिया) इसलिए कहते है अल्लाह पाक हमें पढने सुनने से ज़यादा अमल की तौफीक अता फरमाए | अमीन 


Conclusions

इस पोस्ट में हम ने जाना अमल क्या होता है | और ख्वाजा जी के उस ख़ास अमल के बारे में जाना जो उन्हें अल्लाह से मिला दिए थे | दोस्तों कोई भी अमल हो जो आप अल्लाह के लिए करते है उसमे जब तक फ़र्ज़ यानि नमाज़ शामिल ना किया जाये तब तक उस अमल का कोई फायदा नहीं होता | वो जुबान से तो अदा होती है | लेकिन दिल तक नहीं पहुचती | अगर अपनी ज़िन्दगी सवारनी है तो नमाज़ के पावंद बने और सुरह इखलास को अपनी ज़िन्दगी का हिस्सा बना ले | उम्मीद करता हूँ ये आर्टिकल आपको पसंद आया होप्गा | अस्सलामो अलैकुम


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